सब धूल बह गई, निखर गये, नहा लिए, पेड़, पहाड़, झाड़ियाँ, लग रहा मानों सबने, पहनी हरी-हरी साड़ियाँ... सब धूल बह गई, निखर गये, नहा लिए, पेड़, पहाड़, झाड़ियाँ, लग रहा मानों सबने, प...
चल रहा जीवन है, बिन इसके, साखी, हम बिन सांसों के बुत है। चल रहा जीवन है, बिन इसके, साखी, हम बिन सांसों के बुत है।
देना जानती है ये भी ईंट का जवाब पत्थर से। देना जानती है ये भी ईंट का जवाब पत्थर से।
कण -कण में जिसकी रहनुमाई है ये पहेली तो सुलझ न पाई है देखो ......फिर बहार आई है। कण -कण में जिसकी रहनुमाई है ये पहेली तो सुलझ न पाई है देखो ......फिर बहार ...
प्रभात बेला में पंछी प्यारे गाते हैं रवि उदय होते ही पेड़ों से उतर आते हैं। जल मे प्रभात बेला में पंछी प्यारे गाते हैं रवि उदय होते ही पेड़ों से उतर आते ...
इस प्रकृति के बिना , कितना सूना है सब कुछ ? सोचो गर पेड़ ना हों , तो बिन श्वास जाए ये इस प्रकृति के बिना , कितना सूना है सब कुछ ? सोचो गर पेड़ ना हों , तो बिन...